MAA KAILA DEVI KA PAWAN DHARTI PAR AAGMAN माँ कैला देवी का पावन धरती पर आगमन

श्रीमद् भागवत पुराण के लेखानुसार जब मथुरा का निर्दयी राजा कंस अपनी बहन के छः पुत्रों का जन्म के तुरंत पश्चात् बारी बारी से वध कर देता है ! लेकिन सातवें पुत्र को योगमाया ने देवकी के गर्भ को रोहिणी के गर्भ में संकर्षण द्वारा हस्तांतरित कर दिया उसी बालक का नाम बल्देव पड़ा ! जब आठवें पुत्र के रूप श्री भगवान विष्णु ने जन्म लिया तब योगमाया ने ऐसी लीला रचाई की कारागृह के द्वारपाल गहरी नींद में सो गए तथा वासुदेव और देवकी के हाथों से बेड़ियाँ खुल गई ! कंस के भय से व्याप्त वासुदेव श्री कृष्ण को आधी रात यमुना नदी जिसमें उस समय बाढ़ हुई थी पार करके अपने मित्र गोकुल के नंदबाबा के घर पहुंचे ! उसी अष्टमी के दिन माँ यशोदा के गर्भ से सुन्दर कन्या के रूप में महामाया आदिशक्ति प्रकट हुई थी ! श्रीकृष्ण को नंदबाबा के घर पर छोड़कर उनकी कन्या को लेकर कारागृह में आ गये! जब कंस को अपने दूतों के द्वारा देवकी के आठवे पुत्र के जन्म का समाचार मिला तो कंस और निर्दयी ने कन्या को वासुदेव के हाथों से छीन कर जैसे ही पृथ्वी पर पटका वैसे ही कन्या रुपी महामाया आसमान में जा पहुंची और सूर्य के तेज के सामान प्रकाशमय अष्टभुजा स्वरुप में प्रकट हुई और बोली हे कंस जिस आठवें पुत्र को मारना चाहता था उसका जन्म तो हो चुका है और वह गोकुल में पहुंच गया है अब तेरा अंत समय निश्चित है! वही कन्या अपनी कला से अवतरित माँ कैलेश्वरी कलियुग में कैला देवी के नाम से प्रख्यात हुई ! 



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